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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥ १० ॥
ओं अस्य श्री कुञ्जिका स्तोत्रमन्त्रस्य सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीत्रिगुणात्मिका देवता, ओं ऐं बीजं, ओं ह्रीं शक्तिः, ओं क्लीं कीलकम्, मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
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श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
कंट्रोवर्सी किंग हैं शाहरुख खान, कभी जेल की हवा खाई, तो कभी हुए बैन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड